Patthar Kuch Kehte Hain

Patthar Kuch Kehte Hain 


पानी से कटे

हैं फिर भी डटे

हैं पत्थर क्यूं रहते?

 

पवन से टूटे

समय से छूटे

पत्थर क्या कहते?

 

मंदिरों को अंग

दे मूरतों को ढंग

अक्षरों को स्वर

आकारों को रंग

 

पत्थरों के पट

पे पत्थरों से कट

के बीते बखत

को लाते निकट

 

पत्थर पे जो खुदा हुआ रहा वो सदा

 

पानी से कटे

हैं फिर भी डटे

हैं पत्थर क्यूं रहते?

 

पवन से टूटे

समय से छूटे

पत्थर क्या कहते?

 

*

 

पत्थरों अखंड के

मंदिरों प्रचंड में

बैठाया कलश को

शैल से कैलाश को

 

किस यंत्र से तन

में आया ये गोलापन

किस युक्ति से बन

पाया ये पोलापन

 

सतह का चिकनापन मानो कोई दर्पन

अंस इनका मिटता पर अंशु नही घटता

 

पत्थर या कविता

पत्थर ये जीविता

सुई सा है अंतर

धागे सा अभ्यंतर

 

स्तंभ से हैं सुर जगे, कहीं स्तंभ पे सूर्य उगे

रचना उसने सीखा ये रचना जिसने देखा

 

सदियाँ बीत गई

ज़ंग का नहीं नाम

कौन थे भई?

किसका ये काम?

ना लिखी ना पढ़ी भाषा पत्थर में गढ़ी

 

हम्पी के ये खंडहर

ही जब इतने सुंदर

तो होगा क्या निखरता

पे जब ये शिखर था...!

 

मंदिरों को अंग

दे मूरतों को ढंग

अक्षरों को स्वर

आकारों को रंग

 

पत्थरों के पट

पे पत्थरों से कट

के बीते बखत

को लाते निकट

 

पत्थर पे जो खुदा हुआ रहा वो सदा

 

पानी से कटे

हैं फिर भी डटे

हैं पत्थर क्यूं रहते?

 

पवन से टूटे

समय से छूटे

पत्थर क्या कहते?

*


Comments

Popular posts from this blog

ମଳୟ ପବନ (Malaya Pabana)

IT'S YOUR DEPARTURE

तेरे हिज्र में