Phir Ravi Wo Khil Raha Hai
फिर रवि वो खिल रहा है
फिर सभी को मिल रही है
रश्मि जिस में जलता चंदन
जिस्म जिसको मल रहा है
पंख मन का मेरा कोरा!
रंग ले लुुं तेरा थोड़ा
धुल गए पलकेें-घटाएं
मुस्कराहट की लताएं
माटी-मुख पे हैं बिखरते
तेरी ऊर्जा से निखरके
डूबे मन - तूलिका
रंग दानी इंद्रधनु में
पंखुडी तन जो खुलता
सुख सूरजमुखी बनु में
मेरी उड़ान, मुस्कान
में तेरा रंग तेरी जान
पोत तेरे रंग में
लोटता ये अंग है
कछुए मेघ संग है
गिलहरी तरंग पे
में हूँ चित्रकार
मुझे रंग दरकार
तू निकल हर सुबह ना
पिघलके मुझ में बहना
जन्म का सूत्रधार
जीवन का तू आधार
और क्या है जीवन?
खुशियों में काटना
खुशबुओं का उपवन
बनाना, बांटना
कांटें भी कहे
तो चुभन की सज़ा लूं
ये लहु यूँ बहे
के ग़ुलाबों को सजा दूँ
चार दिन बाद वो
मीठा दर्द याद हो
फिर रवि वो खिल रहा है
फिर सभी को मिल रही है
रश्मि जिस में जलता चंदन
जिस्म जिसको मल रहा है
पंख मन का मेरा कोरा!
रंग ले लुुं तेरा थोड़ा
धुल गए पलकेें-घटाएं
मुस्कराहट की लताएं
माटी-मुख पे हैं बिखरते
तेरी ऊर्जा से निखरके
डूबे मन - तूलिका
रंग दानी इंद्रधनु में
पंखुडी तन जो खुलता
सुख सूरजमुखी बनु में
मेरी उड़ान, मुस्कान
में तेरा रंग तेरी जान
फिर रवि वो खिल रहा है
फिर सभी को मिल रही है
रश्मि जिस में जलता चंदन
जिस्म जिसको मल रहा है
फिर रवि वो खिल रहा है
फिर सभी को मिल रही है...
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