Ghar Ye Tum Se
घर
है
तुम
से
हममममम....
तेरे
दम
से
हममममम....
घर
है
तुम
से
हममममम....
तेरे
दम
से
हममममम....
घर
ये
घर
है
तुम
से
ही
वरना
कमरे
है
कमरे
ही
कल
हवाएँ
थी गुज़रती
अब
है
साँसें
इस
घर
की
जिस
दिन
तुम
ने
अपना
हमेशा
सब
कुछ
पीछे
छोड़
इस
अनजानी
दुनिया
के
दिशा
में
जीवन
को
दी
मोड़
सब
बिखरा
सा
था
तु
ने
समेट
लिया
कोने
दीवारों
को
शोभा
भेट
दिया
घर
है
तुम
से
हममममम....
तेरे
दम
से....
*
भट्टी
सी
रसोई
में
खुद
को
झोंक
के
दाने
दाने
अनाज
पे
अंदाज़-ए-छोंक
दे
घर
में
तेरी
पायल
चूड़ी
की
छम
छम
पे गूंजे और झूमे हर
दिल
हर
कदम
जब
तक
सब
लौटें
ना
पलकें
ना
झपके
सब
सो
जाएं
तो
जाके
पलकें
झुके
घर
है
तुम
से...
तेरे
दम
से...
*
घर
को
तूने
अपनाया
तो
है
इस
कदर
बिन
तेरे
बन जाएगा
ये
खंडहर
घर
में
सबको
है
तू
ने
ऐसे
है
बाँधा
माला
में
पिरोया
है
बनके
है
धागा
चोट
खरोच
लगे
तो
जाने
ना
कोई
आँचल
में
छुपते
दाग-ए-जलन
कई
घर
है
तुम
से
हममममम....
तेरे
दम
से
हममममम....
घर
ये
घर
है
तुम
से
ही
वरना
कमरे
है
कमरे
ही
घर
है
तुम
से
हममममम....
तेरे
दम
से....
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